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जयपुर :राजस्थान की साफा संस्कृति को बचाने के लिए प्रतियोगिता आयोजित कर रहे हैं पन्डित जी साफा वाले

राजस्थान की साफा संस्कृति को बचाने के लिए प्रतियोगिता आयोजित  कर रहे हैं पन्डित जी साफा वाले 

                               राजस्थान सम्पुर्ण राष्ट्र मे अपनी संस्कृति के लिए पहचाना जाता है राजस्थान की इसी सस्कृति का महत्वपूर्ण अगं पगड़ी है जिसमे की राजस्थान से ताल्लुक रखने वाले कही समाजो के कुछ वर्गो मे से कही लोग पगडी पहनते हैं जिसे स्थानीय रूप में साफा,पगड़ी या पाग कहा जाता है  ....

           पगड़ी राजस्थान के पहनावे का अभित्र  अग है पगड़ी सिर के चारो और विभित्र   व विशिष्ट शेलियो मे बाधी जाती हैं रिहासती समय में पगड़ी को उसे पहनने वाले व्यक्ति की प्रतिष्ठा (आन)के रूप में माना जाता था कवि भरत व्यास कहते है की -        जब तक मरु प्रदेश की सतान रहे ,इस पगड़ी का समान रहे |
 मरूधर के बच्चे-बच्चे को अपनी पगड़ी पर नाज रहे || 
  यही पगड़ी वही पुरानी है सब की चीर पहचानी है | 
बीते गौरव के गाथा की केवल यही बची निशानी है ||
 
 लुप्त राजस्थानी संस्कृति बचाने का एक अथक प्रयास  व ऐसी ऐतिहासिक परम्परा को आगे बढ़ाने का जिम्मा ऊठाया है लुणकरनसर के स्वरुप पंचारीया ने जिन्हे पन्डित जी साफे वाले के नाम से भी जाना जाता है इनके द्वारा राज्य स्तर की प्रतियोगिता राजस्थानी साफा प्रतियोगिता करवा के राजस्थान की संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं...विभिन्न प्रकार के साफे बांधने मे महारत हासिल किए पंन्डित जी के मुताबिक उनका मुख्य उद्देश्य साफा संस्कृति की साख बचाना है....

उन्होने हजारो साफे नि:शुल्क भी बांधे है.... पन्डित जी ने साफा संस्कृति के जुङाव का श्रेय अपने पिता ईश्वर लाल पंचारीया को दिया है....बीकानेरी साफा, राजस्थानी गोल साफा, जोधपुरी साफा, बाङमेरी, जैसलमेरी साफा आदि विभिन्न प्रकार के साफे बांधने की कला के जानकार स्वरुप पंचारीया द्वारा राजस्थानी साफा प्रतियोगिता काफी वर्षो से लगातार करवाई जा रही है ...

इस वर्ष भी इस प्रतियोगिता को पन्डित जी साफा वालो के द्वारा आयोजित की गई जिसमे पुरे राजस्थान से 180 व्यक्तियो ने भाग लिया.... जिसमे से टॉप 5 प्रतिभागियो का राजस्थान की सबसे सुन्दर पगड़ी बाधने पर विजेता घोषित किया गया है.... यह प्रतियोगिता कोरोना काल को  हुए ऑनलाइन वोटीग के आधार पर पूरी हुई ....जिसका मुख्य उद्देश्य यही था की शोशल मिडीया के जरीये हमारे राजस्थान की साफा संस्कृति की राष्ट्रीय. व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बने....विजेता प्रतिभागियो मे प्रथम रूपसिंह गुर्जर जयपुर, द्वितीय राकेश सारस्वत दन्तौर, तृतीय सद्दाम सैयद राजपुरा, चतुर्थ विनोद रोझ रोझा, पंचम मुनिराम लेघा लखावर विजेता रहे....

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